छोटी-छोटी बस्तियां स्थापित होती चली गई। इसी तरह मैं भी आगे बढ़ती रही। छोटी-छोटी बस्तियां स्थापित होती चली गई। इसी तरह मैं भी आगे बढ़ती रही।
ऐसा नहीं है कि आत्मा को वस्त्र की आवश्यकता नहीं होती। आत्मा का वस्त्र है ये एक मात्र शरीर...... ऐसा नहीं है कि आत्मा को वस्त्र की आवश्यकता नहीं होती। आत्मा का वस्त्र है ये एक म...
क्या यही प्यार है, और नोटपैड निकाल लिखने लगती है नई कहानी। क्या यही प्यार है, और नोटपैड निकाल लिखने लगती है नई कहानी।
लेखिका: मारिया किसेल्योवा अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखिका: मारिया किसेल्योवा अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
यह दोनों बांध भले आज तकनीकी के मामले में बेजोड़ हों यह दोनों बांध भले आज तकनीकी के मामले में बेजोड़ हों
कांपते ओठों से कुछ शब्द निकले ’’मुझे आप लोगों से कोई शिकायत नहीं है।’’ कांपते ओठों से कुछ शब्द निकले ’’मुझे आप लोगों से कोई शिकायत नहीं है।’’